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श्रावण मास: पूजा विधि और अनुष्ठान - भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपायमुख्य शब्द: श्रावण मास, सावन, पूजा विधि, अनुष्ठान, भगवान शिव, शिवलिंग, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, मंत्र जाप, दान, भक्ति।

श्रावण मास: पूजा विधि और अनुष्ठान - भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय
मुख्य शब्द: श्रावण मास, सावन, पूजा विधि, अनुष्ठान, भगवान शिव, शिवलिंग, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, मंत्र जाप, दान, भक्ति।
श्रावण मास भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है और इस पूरे महीने में उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की पूजा विधियाँ और अनुष्ठान किए जाते हैं। इन अनुष्ठानों का पालन करने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलता है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
श्रावण मास में पूजा विधि:
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। यहाँ सामान्य पूजा विधि का वर्णन किया गया है, जिसे भक्त पूरे महीने या विशेष दिनों में कर सकते हैं:
 * दैनिक स्नान: श्रावण मास में प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
 * स्वच्छ वस्त्र: स्नान के बाद साफ और धुले हुए वस्त्र धारण करें।
 * पूजा स्थल की तैयारी: घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
 * शिवलिंग की स्थापना: यदि घर में शिवलिंग स्थापित है, तो उसकी नियमित पूजा करें। यदि नहीं, तो आप किसी मंदिर में जाकर पूजा कर सकते हैं।
 * जलाभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
 * पूजन सामग्री अर्पण: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, फूल (विशेषकर सफेद), चावल, चंदन, भस्म आदि अर्पित करें।
 * दीपक प्रज्वलन: पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाएं।
 * मंत्र जाप: भगवान शिव के विभिन्न मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ नमः शिवाय", "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्" (महामृत्युंजय मंत्र)।
 * आरती: भगवान शिव की आरती गाएं।
 * भोग: भगवान शिव को सात्विक भोजन या फल का भोग लगाएं।
 * ध्यान: कुछ समय भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष रखें।
श्रावण मास में किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान:
श्रावण मास में कुछ विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जिनका अपना अलग महत्व है:
 * रुद्राभिषेक: श्रावण मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। यह भगवान शिव की एक प्रमुख पूजा है, जिसमें शिवलिंग पर रुद्र मंत्रों के साथ विभिन्न द्रव्यों जैसे दूध, दही, घी, शहद, जल और फलों के रस से अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 * मौन व्रत: श्रावण मास में मौन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। खासकर भोजन के समय मौन व्रत रखना चाहिए। व्रत के अंत में घंटा और पुस्तक का दान करना भी शुभ माना जाता है।
 * दान: श्रावण मास में दान का भी बहुत महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना चाहिए। ब्राह्मणों को रोटक (गुड़ और आटे से बनी मिठाई) और ऋतु फल (केला, नारियल, खजूर, ककड़ी, नारंगी, नींबू आदि) का दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
 * मंत्र जप और वेद पाठ: इस महीने में मंत्र जप, रुद्राक्ष जप, गायत्री जप या वेद पाठ करने से निश्चित रूप से सिद्धि प्राप्त होती है। भक्त जितना अधिक समय भगवान की भक्ति में लगाते हैं, उतना ही उन्हें लाभ मिलता है।
 * शिव मंदिरों के दर्शन: श्रावण मास में शिव मंदिरों के दर्शन करना और वहां जाकर पूजा-अर्चना करना बहुत शुभ माना जाता है। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व है।
भगवान शिव को प्रिय चीजें:
श्रावण मास में भगवान शिव को कुछ विशेष चीजें अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं:
 * बेलपत्र: भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
 * गंगाजल: गंगाजल भगवान शिव के अभिषेक के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
 * दूध: दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 * धतूरा: धतूरा भगवान शिव को प्रिय है, हालांकि इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण नहीं किया जाता है।
 * शमी के पत्ते: शमी के पत्ते चढ़ाने से कष्ट दूर होते हैं।
 * भस्म: भगवान शिव को भस्म अर्पित करना उनकी वैराग्य भावना को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का उत्तम समय है। इस महीने में विधि-विधान से पूजा और अनुष्ठान करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार भगवान शिव की पूजा करके उनके आशीर्वाद का लाभ उठाना चाहिए।

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