मंगलवार, 15 जुलाई 2025

श्रावण मास: भगवान शिव की आराधना का पवित्र महीना - महत्व, नियम और प्रतिबंध

Shravan month: The holy month of worshiping Lord Shiva - significance, rules and restrictions

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Video of the fasting method of the month of Savan

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Shravan month is considered a very important and holy month in Hinduism. This month is dedicated to the worship and devotion of Lord Shiva. According to the Hindu calendar, this month comes after the month of Ashadha and lasts till Shravan Purnima. During this entire month, devotees offer special prayers to Lord Shiva, observe fasts and participate in religious activities. Shravan month is not only important from the religious point of view, but it is also a month of beauty and celebration of nature, in which greenery prevails all around.
Importance of Shravan month:
The spiritual and religious significance of Shravan month is immense. It is believed that in this month Lord Shiva resides among his devotees on earth and fulfills all their wishes. According to the scriptures, religious deeds, charity and penance done in the month of Shravan yield infinite rewards. This is the reason why a huge crowd of devotees gathers in Shiva temples in this month and everyone worships Lord Shiva according to their faith and devotion.
Rules and restrictions to be followed in Shravan month:
It is considered necessary to follow certain rules and restrictions to receive the blessings of Lord Shiva during the month of Shravan. These rules not only provide physical and mental purification, but also help in spiritual advancement.
 * Fasts and Upvaas: Fasts have special importance in the month of Shravan. Many devotees observe fasts for the entire month of Shravan or on every Monday. The fast on Monday is considered especially fruitful and is known as Sawan Somvar Vrat. People who observe fast eat fruits throughout the day and eat food only after worshiping Lord Shiva in the evening. Some people also start the fast of sixteen Mondays from this month.
 * Dietary restrictions: Consumption of certain foods is prohibited in the month of Shravan. According to Skanda Purana, one should give up on Shaak (green leafy vegetables) in this month. Apart from this, one should also avoid onion, garlic and non-vegetarian food. Eating satvik food and practicing celibacy is extremely important in this month. In some regions, there is also a rule to give up curd in Bhadrapada, milk in Ashwin and pulses in Kartik.
 * Conduct rules: Devotees should pay special attention to their conduct during the month of Shravan. Lying, violence and wasting time on useless things are forbidden. One should not hold bitterness, criticism or grudges against anyone. Maintaining peace and restraint is an important rule of this month. Reciting religious scriptures, chanting Lord Shiva's mantras and meditating are also considered auspicious in this month.
 * Other restrictions: According to religious beliefs, cutting hair during the month of Shravan is also considered taboo. Although there is no scientific evidence behind this, it is followed from a religious and traditional point of view.
Major festivals of Shravan month:
श्रावण मास में कई महत्वपूर्ण त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं जो इस महीने की पवित्रता और महत्व को और बढ़ाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख त्यौहार निम्नलिखित हैं:
 * सावन सोमवार: श्रावण मास में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं, जलाभिषेक करते हैं और व्रत रखते हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 * हरियाली तीज: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं, श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं और माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। यह त्यौहार प्रकृति के सौंदर्य और खुशहाली का प्रतीक है।
 * नाग पंचमी: श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। यह पर्व नागों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है और कृषि के लिए उनका महत्व दर्शाता है।
 * रक्षाबंधन: श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
 * कृष्ण जन्माष्टमी: हालांकि कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास में मनाई जाती है, लेकिन कुछ स्थानों पर श्रावण मास के अंत में भी इसका आयोजन किया जाता है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है और इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
 * अन्य व्रत और त्यौहार: इनके अलावा, श्रावण मास में कामिका एकादशी, मौना पंचमी और श्रावण शिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार भी मनाए जाते हैं। श्रावण शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है, जिसमें भगवान शिव की रात्रि कालीन पूजा का विधान है।
निष्कर्ष:
श्रावण मास हिन्दू धर्म में एक पवित्र और महत्वपूर्ण समय है। यह महीना भगवान शिव की आराधना, व्रत, उपवास और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए समर्पित है। इस महीने में नियमों और प्रतिबंधों का पालन करते हुए भगवान शिव की भक्ति करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रावण मास न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं की richness को भी दर्शाता है। इसलिए, सभी श्रद्धालुओं को इस पवित्र महीने का महत्व समझना चाहिए और अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

श्रावण मास में व्रत: आध्यात्मिक और वैज्ञानिक श्रावण मास, सावन, व्रत, उपवास, आध्यात्मिक लाभ, वैज्ञानिक लाभ, स्वास्थ्य, मन, संयम, संकल्प, शुद्धि।

श्रावण मास में व्रत: आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ
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श्रावण मास में व्रत का अत्यधिक महत्व है। भक्तगण इस पूरे महीने या सप्ताह में एक या दो दिन उपवास रखते हैं, खासकर सोमवार के दिन। श्रावण मास में व्रत रखने के न केवल आध्यात्मिक लाभ हैं, बल्कि इसके वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी हैं। यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है।
श्रावण मास में व्रत के आध्यात्मिक लाभ:
 * भगवान शिव की कृपा: मान्यता है कि श्रावण मास में जो भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार का व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है और इससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है।
 * मनोकामनाओं की पूर्ति: श्रावण मास के व्रत को मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-शांति के लिए यह व्रत रखती हैं।
 * ग्रहों की अनुकूलता: ऐसा माना जाता है कि श्रावण सोमवार का व्रत रखने से ग्रहों की प्रतिकूल दशा में सुधार होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
 * नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा, रोग और दरिद्रता को दूर करने में सहायक माना जाता है। मन शांत होता है और सकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ता है।
 * आध्यात्मिक उन्नति: व्रत रखने से इंद्रियों पर नियंत्रण होता है और मन एकाग्र होता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। ब्रह्मचर्य का पालन इस महीने में और भी अधिक महत्वपूर्ण है और यह शरीर को स्वस्थ और बलवान बनाता है।
श्रावण मास में व्रत के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य
 संबंधी लाभ:
श्रावण मास मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में आता है। इस दौरान वातावरण में नमी अधिक होती है और पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से श्रावण मास में व्रत रखने के कई फायदे हैं:
 * पाचन तंत्र को आराम: व्रत रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है। लगातार भोजन करने से पाचन अंगों पर दबाव बना रहता है, जबकि व्रत के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए विश्राम मिलता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है।
 * शरीर से विषाक्त पदार्थों का निष्कासन: व्रत रखने से शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर शुद्ध होता है और बीमारियों से बचाव होता है।
 * रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
 * चयापचय में सुधार: व्रत रखने से शरीर का चयापचय (Metabolism) सुधरता है, जिससे ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है।
 * वजन नियंत्रण: यदि व्रत के दौरान संतुलित और हल्का भोजन लिया जाए, तो यह वजन को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकता है।
 * मानसिक शांति: व्रत रखने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। संयम और संकल्प शक्ति बढ़ती है, जिससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
 * व्रत का अर्थ केवल भूखा रहना नहीं है। इस दौरान हल्का और सुपाच्य भोजन जैसे फल, दूध, दही और जूस आदि का सेवन किया जा सकता है।
 * शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है, इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी या अन्य तरल पदार्थों का सेवन करते रहें।
 * यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
 * व्रत के दौरान सकारात्मक रहें और भगवान की भक्ति में मन लगाएं।
- श्रावण मास 2025
- श्रावण सोमवार व्रत
- शिव पूजा विधि
- शिव जी के मंत्र
- भोलेनाथ की कथा
- रुद्राभिषेक विधि
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- भजन और शिव चालीसा
- सावन व्रत कथा
- भगवान शिव के नाम
- शिवजी को प्रसन्न कैसे करें
- सावन स्पेशल पूजा
- श्रावण सोमवार महत्व

निष्कर्ष:
श्रावण मास में व्रत रखना एक प्राचीन परंपरा है जिसके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही तरह के लाभ हैं। यह न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, जो लोग श्रद्धा और सामर्थ्य रखते हैं, उन्हें श्रावण मास में व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।
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श्रावण मास: पूजा विधि और अनुष्ठान - भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपायमुख्य शब्द: श्रावण मास, सावन, पूजा विधि, अनुष्ठान, भगवान शिव, शिवलिंग, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, मंत्र जाप, दान, भक्ति।

श्रावण मास: पूजा विधि और अनुष्ठान - भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय
मुख्य शब्द: श्रावण मास, सावन, पूजा विधि, अनुष्ठान, भगवान शिव, शिवलिंग, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, मंत्र जाप, दान, भक्ति।
श्रावण मास भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है और इस पूरे महीने में उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की पूजा विधियाँ और अनुष्ठान किए जाते हैं। इन अनुष्ठानों का पालन करने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलता है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
श्रावण मास में पूजा विधि:
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। यहाँ सामान्य पूजा विधि का वर्णन किया गया है, जिसे भक्त पूरे महीने या विशेष दिनों में कर सकते हैं:
 * दैनिक स्नान: श्रावण मास में प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
 * स्वच्छ वस्त्र: स्नान के बाद साफ और धुले हुए वस्त्र धारण करें।
 * पूजा स्थल की तैयारी: घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
 * शिवलिंग की स्थापना: यदि घर में शिवलिंग स्थापित है, तो उसकी नियमित पूजा करें। यदि नहीं, तो आप किसी मंदिर में जाकर पूजा कर सकते हैं।
 * जलाभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
 * पूजन सामग्री अर्पण: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, फूल (विशेषकर सफेद), चावल, चंदन, भस्म आदि अर्पित करें।
 * दीपक प्रज्वलन: पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाएं।
 * मंत्र जाप: भगवान शिव के विभिन्न मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ नमः शिवाय", "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्" (महामृत्युंजय मंत्र)।
 * आरती: भगवान शिव की आरती गाएं।
 * भोग: भगवान शिव को सात्विक भोजन या फल का भोग लगाएं।
 * ध्यान: कुछ समय भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष रखें।
श्रावण मास में किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान:
श्रावण मास में कुछ विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जिनका अपना अलग महत्व है:
 * रुद्राभिषेक: श्रावण मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। यह भगवान शिव की एक प्रमुख पूजा है, जिसमें शिवलिंग पर रुद्र मंत्रों के साथ विभिन्न द्रव्यों जैसे दूध, दही, घी, शहद, जल और फलों के रस से अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 * मौन व्रत: श्रावण मास में मौन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। खासकर भोजन के समय मौन व्रत रखना चाहिए। व्रत के अंत में घंटा और पुस्तक का दान करना भी शुभ माना जाता है।
 * दान: श्रावण मास में दान का भी बहुत महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना चाहिए। ब्राह्मणों को रोटक (गुड़ और आटे से बनी मिठाई) और ऋतु फल (केला, नारियल, खजूर, ककड़ी, नारंगी, नींबू आदि) का दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
 * मंत्र जप और वेद पाठ: इस महीने में मंत्र जप, रुद्राक्ष जप, गायत्री जप या वेद पाठ करने से निश्चित रूप से सिद्धि प्राप्त होती है। भक्त जितना अधिक समय भगवान की भक्ति में लगाते हैं, उतना ही उन्हें लाभ मिलता है।
 * शिव मंदिरों के दर्शन: श्रावण मास में शिव मंदिरों के दर्शन करना और वहां जाकर पूजा-अर्चना करना बहुत शुभ माना जाता है। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व है।
भगवान शिव को प्रिय चीजें:
श्रावण मास में भगवान शिव को कुछ विशेष चीजें अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं:
 * बेलपत्र: भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
 * गंगाजल: गंगाजल भगवान शिव के अभिषेक के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
 * दूध: दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 * धतूरा: धतूरा भगवान शिव को प्रिय है, हालांकि इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण नहीं किया जाता है।
 * शमी के पत्ते: शमी के पत्ते चढ़ाने से कष्ट दूर होते हैं।
 * भस्म: भगवान शिव को भस्म अर्पित करना उनकी वैराग्य भावना को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का उत्तम समय है। इस महीने में विधि-विधान से पूजा और अनुष्ठान करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार भगवान शिव की पूजा करके उनके आशीर्वाद का लाभ उठाना चाहिए।

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- श्रावण मास 2025- श्रावण सोमवार व्रत- शिव पूजा विधि- शिव जी के मंत्र- भोलेनाथ की कथा- रुद्राभिषेक विधि- सावन सोमवार 2025- सावन में क्या करें क्या न करें- शिव आरती हिंदी में- भजन और शिव चालीसा- सावन व्रत कथा- भगवान शिव के नाम- शिवजी को प्रसन्न कैसे करें- सावन स्पेशल पूजा- श्रावण सोमवार महत्व

श्रावण सोमवार: भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन - महत्व और व्रत विधि🕉️🚩

मुख्य शब्द: श्रावण सोमवार, सावन सोमवार, सोमवार व्रत, भगवान शिव, व्रत विधि, पूजा, जलाभिषेक, मनोकामना, महत्व, कथा।
श्रावण मास में सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे श्रावण महीने में भक्तगण भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं, लेकिन सोमवार के दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
श्रावण सोमवार का महत्व:🕉️👇👇

श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। स्वयं भोलेनाथ ने कहा है कि बारह महीनों में श्रावण मास उन्हें सबसे अधिक प्रिय है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, तो नारद मुनि ने उन्हें श्रावण मास में सोमवार के दिन विशेष व्रत और पूजा करने की सलाह दी थी। माता पार्वती ने पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन किया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
एक अन्य कथा के अनुसार, श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें से हलाहल विष निकला था। इस विष की नकारात्मक ऊर्जा से ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया था। इसी कारण उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। यह घटना श्रावण मास में हुई थी, इसलिए इस पूरे महीने और विशेष रूप से सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
मान्यता यह भी है कि श्रावण सोमवार का व्रत वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा, रोग और दरिद्रता को दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
श्रावण सोमवार व्रत विधि:🕉️🚩👇👇 

श्रावण सोमवार का व्रत विधि-विधान से करने पर विशेष फलदायी होता है। यहाँ इस व्रत को करने की सरल विधि दी गई है:
 * प्रातःकाल: श्रावण सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और साफ वस्त्र धारण करें।
 * पूजा स्थल की सफाई: घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें।
 * शिव प्रतिमा की स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
 * जलाभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं। कुछ लोग पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से भी अभिषेक करते हैं।
 * पूजन सामग्री: शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल, शमी के पत्ते, केसर, अक्षत (चावल) और सुगंधित सफेद फूल चढ़ाएं। भगवान शिव को भस्म और चंदन का लेप लगाएं।
 * भोग: भगवान शिव को सफेद मिठाई या फल का भोग लगाएं। ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
 * मंत्र जाप: शिवलिंग पर सभी चीजें अर्पित करते समय "ॐ नमः शिवाय" या "नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें। इस मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
 * कथा श्रवण: श्रावण सोमवार व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
 * आरती: भगवान शिव की आरती करें।
 * प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भोग और प्रसाद को परिवार के सदस्यों और अन्य भक्तों में वितरित करें।
 * व्रत का पालन: पूरे दिन फलाहार करें। शाम को भगवान शिव की पूजा और आरती के बाद ही भोजन ग्रहण करें। कुछ लोग पूरे दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं।
श्रावण सोमवार व्रत कथा:🕉️🚩👇👇 

श्रावण सोमवार व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कथा एक गरीब ब्राह्मण दंपति की है, जो संतानहीन थे और भगवान शिव के बड़े भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करने और उनकी पूजा करने की सलाह दी। ब्राह्मण दंपति ने पूरी श्रद्धा के साथ व्रत किया और श्रावण मास के अंत तक उन्हें भगवान शिव के आशीर्वाद से एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।
एक अन्य कथा चंद्रदेव की है, जिन्हें एक श्राप के कारण कष्ट भोगना पड़ रहा था। उन्होंने श्रावण मास के सोमवार को उपवास रखा और शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया।
निष्कर्ष:
श्रावण सोमवार भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देता है।
- श्रावण मास 2025
- श्रावण सोमवार व्रत
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