मंगलवार, 15 जुलाई 2025

- श्रावण मास 2025- श्रावण सोमवार व्रत- शिव पूजा विधि- शिव जी के मंत्र- भोलेनाथ की कथा- रुद्राभिषेक विधि- सावन सोमवार 2025- सावन में क्या करें क्या न करें- शिव आरती हिंदी में- भजन और शिव चालीसा- सावन व्रत कथा- भगवान शिव के नाम- शिवजी को प्रसन्न कैसे करें- सावन स्पेशल पूजा- श्रावण सोमवार महत्व

श्रावण सोमवार: भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन - महत्व और व्रत विधि🕉️🚩

मुख्य शब्द: श्रावण सोमवार, सावन सोमवार, सोमवार व्रत, भगवान शिव, व्रत विधि, पूजा, जलाभिषेक, मनोकामना, महत्व, कथा।
श्रावण मास में सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे श्रावण महीने में भक्तगण भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं, लेकिन सोमवार के दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
श्रावण सोमवार का महत्व:🕉️👇👇

श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। स्वयं भोलेनाथ ने कहा है कि बारह महीनों में श्रावण मास उन्हें सबसे अधिक प्रिय है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, तो नारद मुनि ने उन्हें श्रावण मास में सोमवार के दिन विशेष व्रत और पूजा करने की सलाह दी थी। माता पार्वती ने पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन किया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
एक अन्य कथा के अनुसार, श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें से हलाहल विष निकला था। इस विष की नकारात्मक ऊर्जा से ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया था। इसी कारण उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। यह घटना श्रावण मास में हुई थी, इसलिए इस पूरे महीने और विशेष रूप से सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
मान्यता यह भी है कि श्रावण सोमवार का व्रत वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा, रोग और दरिद्रता को दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
श्रावण सोमवार व्रत विधि:🕉️🚩👇👇 

श्रावण सोमवार का व्रत विधि-विधान से करने पर विशेष फलदायी होता है। यहाँ इस व्रत को करने की सरल विधि दी गई है:
 * प्रातःकाल: श्रावण सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और साफ वस्त्र धारण करें।
 * पूजा स्थल की सफाई: घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें।
 * शिव प्रतिमा की स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
 * जलाभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं। कुछ लोग पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से भी अभिषेक करते हैं।
 * पूजन सामग्री: शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल, शमी के पत्ते, केसर, अक्षत (चावल) और सुगंधित सफेद फूल चढ़ाएं। भगवान शिव को भस्म और चंदन का लेप लगाएं।
 * भोग: भगवान शिव को सफेद मिठाई या फल का भोग लगाएं। ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
 * मंत्र जाप: शिवलिंग पर सभी चीजें अर्पित करते समय "ॐ नमः शिवाय" या "नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें। इस मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
 * कथा श्रवण: श्रावण सोमवार व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
 * आरती: भगवान शिव की आरती करें।
 * प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भोग और प्रसाद को परिवार के सदस्यों और अन्य भक्तों में वितरित करें।
 * व्रत का पालन: पूरे दिन फलाहार करें। शाम को भगवान शिव की पूजा और आरती के बाद ही भोजन ग्रहण करें। कुछ लोग पूरे दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं।
श्रावण सोमवार व्रत कथा:🕉️🚩👇👇 

श्रावण सोमवार व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कथा एक गरीब ब्राह्मण दंपति की है, जो संतानहीन थे और भगवान शिव के बड़े भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करने और उनकी पूजा करने की सलाह दी। ब्राह्मण दंपति ने पूरी श्रद्धा के साथ व्रत किया और श्रावण मास के अंत तक उन्हें भगवान शिव के आशीर्वाद से एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।
एक अन्य कथा चंद्रदेव की है, जिन्हें एक श्राप के कारण कष्ट भोगना पड़ रहा था। उन्होंने श्रावण मास के सोमवार को उपवास रखा और शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया।
निष्कर्ष:
श्रावण सोमवार भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देता है।
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